स्त्री
काव्य साहित्य | कविता परी एम ’श्लोक’14 Dec 2014
स्त्री चाहती है
प्रेम
पनपने के लिए
सम्मान
खिलने के लिए
महत्व
महकने के लिए
इन तिरंगी पंखों के लगते ही
उड़ने लगती है वो
संतुष्टि के आकाश में
किन्तु अपना
सर्वत्र त्याग कर भी
मात्र इतना पाने में ही
उसका सम्पूर्ण जीवन
खर्च हो जाता है!!
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