स्त्री एक प्रेरणा
काव्य साहित्य | कविता डॉ. नीता चौबीसा15 Aug 2023 (अंक: 235, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
सिद्धि, बुद्धि, धृति, मेधा
सब की सब स्त्रियाँ!!
कोई नहीं होना चाहती पुरुष!
पुरुष चाहता है सब की सब
हर बार आती है अलग अलग
रूपों में उसके जीवन में!!
खोखले पुरुषत्व का दम्भ
नहीं समझ पाता स्त्री की महत्ता!!
रक्त मज्जा दे कर कोख में
अप्रतिम पुरुष गढ़ने वाली स्त्रियाँ
बाँझ हुए अहंकारजनीत पुरुषत्व
पर यक्ष प्रश्न बन कर खड़ी रहती हैं
ताउम्र इस प्रश्न को बूझने वाले
युधिष्टिर की तलाश में!!
उसकी पथराई आँखों में नहीं
उतरता प्रश्नों का कोलाहल
नहीं उमड़ता कोई ज्वार
वो जानती है पृथा बन कर
बौखलाए स्वार्थी अहम पर
नहीं लिखने उसे गीत के मर्म!
बस लिखती है वह बिन
प्रश्न उठाए निष्काम गीता के कर्म!!
ताउम्र होंठों पर मुस्कान दबाए
बनी रहती है वह धृति का रहस्य!!
मेधा की लालसा, रिद्धि-सिद्धि की चाहना
जगाती है पुरुष के हृदय में
कर्म की प्रेरणा!!
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