एस० एम० एस०
काव्य साहित्य | कविता आकांक्षा यादव3 May 2012
अब नहीं लिखते वो ख़त
करने लगे हैं एस० एम० एस०
तोड़ मरोड़ कर लिखे शब्दों के साथ
करते हैं ख़ुशी का इज़हार
मिटा देता है हर नया एस० एम० एस०
पिछले एस० एम० एस० का वजूद
एस० एम० एस० के साथ ही
शब्द छोटे होते गए
भावनाएँ सिमटती गईं
खो गयी सहेज कर रखने की परम्परा
लघु होता गया सब कुछ
रिश्तों की क़द्र का अहसास भी।
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