नन्हे राजकुमार
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक1 May 2020 (अंक: 155, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
लोरी
मेरे नन्हे से राजकुमार
करता हूँ मैं तुमसे प्यार
जब भी देखूँ मैं तुझको
ऐसा लगता है मुझको
था मैं अब तक बेचारा
और क़िस्मत का मारा
आने से तेरे हो गया है
दूर जीवन का हर अँधियार
मेरे नन्हे से राजकुमार...
मेरे दिल की तुम धड़कन
तेरी हँसी से मिटती थकन
प्यारी लगे तेरी शरारत
तुम हो जीवन की ज़रूरत
तुझको देकर मेरे ख़ुदा ने
दिया है अनमोल उपहार
मेरे नन्हे से राजकुमार...
लाड़ले जब भी तुम हो रोते
मेरे दिल के टुकड़े हैं होते
तेरे लिए बन जाऊँ मैं घोड़ा
पापा हूँ तेरा दोस्त भी थोड़ा
आ जाओ कर लो मेरी सवारी
तुम बनकर घुड़सवार
मेरे नन्हे से राजकुमार...
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अच्छा इंसान
- आलिंगन (आलोक कौशिक)
- उन्हें भी दिखाओ
- एक दिन मंज़िल मिल जाएगी
- कवि हो तुम
- कारगिल विजय
- किसान की व्यथा
- कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
- क्योंकि मैं सत्य हूँ
- गणतंत्र
- चल! इम्तिहान देते हैं
- जय श्री राम
- जीवन (आलोक कौशिक)
- तीन लोग
- तुम मानव नहीं हो!
- देखो! ऐसा है हमारा बिहार
- नन्हे राजकुमार
- निर्धन
- पलायन का जन्म
- पिता के अश्रु
- प्रकृति
- प्रेम
- प्रेम दिवस
- प्रेम परिधि
- बहन
- बारिश (आलोक कौशिक)
- भारत में
- मेरे जाने के बाद
- युवा
- श्री कृष्ण
- सरस्वती वंदना
- सावन (आलोक कौशिक)
- साहित्य के संकट
- हनुमान स्तुति
- हे हंसवाहिनी माँ
- होली
हास्य-व्यंग्य कविता
बाल साहित्य कविता
लघुकथा
कहानी
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं