क्योंकि मैं सत्य हूँ
काव्य साहित्य | कविता आलोक कौशिक15 Mar 2020 (अंक: 152, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
मैं कल भी अकेला था
आज भी अकेला हूँ
और संघर्ष पथ पर
हमेशा अकेला ही रहूँगा
मैं किसी धर्म का नहीं
मैं किसी दल का नहीं
सम्मुख आने से मेरे
भयभीत होते सभी
जानते हैं सब मुझको
परंतु स्वीकार करना चाहते नहीं
मैं तो सबका हूँ
किंतु कोई मेरा नहीं
फिर भी मैं किसी से डरता नहीं
ना कभी झुकता हूँ
ना कभी टूटता हूँ
याचना मैं करता नहीं
संघर्षों से थकता नहीं
झुक जाते हैं लोचन सबके
जब मैं नैन मिलाता हूँ
क्योंकि मैं सत्य हूँ
केवल सत्य हूँ
बादलों द्वारा ढक जाने से
गति सूर्य की रुकती नहीं
कितनी भी हो विपरीत परिस्थितियाँ
परंतु मेरी पराजय कभी होती नहीं
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