अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

दिल वाला टैटू

क्षमा मिश्रा नाम था उसका। लेकिन मोहल्ले के सारे लड़के उसे छमिया कह कर पुकारते थे। महज़ अठारह बरस की उम्र में मोहल्ले में हुई अठाईस झगड़ों का कारण बन चुकी थी वो। उसका कोई भी आशिक़ चार महीने से ज़्यादा उसकी फ़रमाइशों को पूरी नहीं कर पाता था। इसलिए प्रत्येक चार महीने बाद क्षमा के दिल के रजिस्टर पर नए आशिक़ का नामांकन होता था। लेकिन जब भी कोई पुराना आशिक़ उसके दिल में रहने की ज़िद या जुरअत करता तो वह अपने पिता से छेड़खानी की झूठी शिकायत कर उसकी बेरहमी से पिटाई करवा देती। क्षमा के पिता पुलिस डिपार्टमेंट में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। मोहल्ले के तक़रीबन सभी लड़के क्षमा के भूतपूर्व आशिक़ों की सूची में स्थान प्राप्त कर चुके थे एवं क्षमा के पिता से पिट भी चुके थे। इस बार क्षमा का नया आशिक़ उसके मोहल्ले का नहीं था। 

क्षमा के नए प्रेम प्रसंग को अभी दो महीने ही हुए थे कि अचानक क्षमा ने घर से निकलना बंद कर दिया। क़रीब एक महीने तक जब मोहल्ले के लड़कों को क्षमा का दीदार नहीं हुआ तो उन लोगों ने इस संबंध में उसकी छोटी बहन छवि से पूछताछ की, जो क्षमा के प्रत्येक प्रेम प्रसंगों में संदेशवाहक का काम किया करती थी। पहले तो छवि ने कारण बताने से मना कर दिया लेकिन जब लड़कों ने बदले में मोबाइल फोन देने का प्रलोभन दिया तो उसने बताना शुरू किया - "दीदी का नया बॉयफ़्रेंड किसी दूसरे शहर का था। उसने दीदी को बताया था कि वह एक कंपनी में मैनेजर है और उसी कंपनी के काम से इस शहर में आया है। वह एक होटल में ठहरा हुआ था। दीदी कभी-कभार उसके साथ शॉपिंग मॉल और पार्क जाया करती थी। एक दिन दीदी के बॉयफ़्रेंड ने दीदी को मिलने के लिए होटल आने को कहा। दीदी जब होटल पहुँची तो उसका बॉयफ़्रेंड उसे उस कमरे में ले गया जिस कमरे में वह ठहरा हुआ था। थोड़ी देर बाद उसने दीदी को मिनरल वाटर पीने को दिया, जिसे पीते ही दीदी बेहोश हो गई। लगभग दो घंटे बाद जब दीदी को होश आया तो उसने उस कमरे में ख़ुद को अकेला पाया। थोड़ी देर बाद जब दीदी के दाहिने हाथ में दर्द हुआ तो उसने देखा कि उसके हाथ पर दिल वाला टैटू बना हुआ था, जिसमें लिखा था- 'माशूक़ा मोहल्ले की'। होटल के कमरे से निकलने के तुरंत बाद जब दीदी ने अपने बॉयफ़्रेंड को फोन लगाया तो उसका फोन स्थायी रूप से बंद बताया। दीदी ने होटल में जब उसके बारे में पूछताछ की तो पता चला कि उसने जो नाम दीदी को बता रखा था उस नाम का कोई भी व्यक्ति उस होटल में ठहरा ही नहीं था। घर आने के बाद दीदी ने रोते हुए मुझसे सारी बातें बताई। जब यह बात पापा को पता चली तो उन्होंने दीदी को बहुत पीटा। हम लोगों ने टैटू आर्टिस्टों से टैटू को मिटाने के बारे में बात की तो उन लोगों ने बताया कि यह एक ख़ास तरह का परमानेंट टैटू है, जिसे हटाना बहुत ही मुश्किल और जोखिम भरा है। उस टैटू की वज़ह से दीदी बहुत परेशान रहने लगी है, इसलिए अब घर से नहीं निकलती है।" 

छवि की बातें सुनकर मोहल्ले के लड़के ख़ुश नहीं बल्कि परेशान थे एवं एक दूसरे को शक की नज़रों से देख रहे थे। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

105 नम्बर
|

‘105’! इस कॉलोनी में सब्ज़ी बेचते…

अँगूठे की छाप
|

सुबह छोटी बहन का फ़ोन आया। परेशान थी। घण्टा-भर…

अँधेरा
|

डॉक्टर की पर्ची दुकानदार को थमा कर भी चच्ची…

अंजुम जी
|

अवसाद कब किसे, क्यों, किस वज़ह से अपना शिकार…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

हास्य-व्यंग्य कविता

बाल साहित्य कविता

लघुकथा

कहानी

गीत-नवगीत

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं