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स्वतंत्रता दिवस

 

विजय-ध्वजा समुन्नत भारत 
नभ में झलके त्रिवर्ण-शान 
वीर-प्रवीर अमर बलिदानी 
जिनसे जग में बढ़ी पहचान 
 
वज्र-संकल्प-धार सज्जित
रण-ध्वनि जिनके ओष्ठों पर
धर्म-दीप प्रज्वलित किए जो
संकट-काल के मोर्चों पर
 
त्याग-तपस्या-अग्नि-ज्वाला से
वीरों ने कर दिया बलिदान
स्वराज्य-सिद्धि के यत्नों में
किया उन्होंने प्राण-दान 
 
आज उनकी स्मृति मनाएँ
ऋण-मुक्ति का कर लें प्रण
अधिकार-रत्न सुरक्षित रख 
सजग रहें हम क्षण-क्षण 
 
स्वर्ण-रश्मि सी दमक रही है 
विश्व वंदिता भारत की धरा 
वीर-रक्त से सिंचित वसुधा 
हृदय में करुणा व प्रेम भरा 
 
जाति-भेद, अन्याय, दमन का
कर देंगे सर्वथा परिहार 
सत्य, न्याय, करुणा, समता से
भर देंगे नव-जीवन-संसार 
 
जय हो भारत-भूमि महान्
जय हो वीर-समाज अमर
जय हो बलिदान-गाथा की 
जय-जय मातृ-ध्वज सुंदर 
 
स्वतंत्रता का यह पावन पर्व
हो नित्य हमारे जीवन में
दीपित रहे स्वाधीन-ज्योति
प्रत्येक हृदय, प्रत्येक मन में

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