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सेवा, संकल्प और समर्पण

 

(माननीय प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर कविता-सुशील शर्मा) 
 
आज एक विशेष क्षण है, 
जब जीवन की 75 बसंतों की कहानी
देश के लिए समर्पित होकर
समय के पन्नों पर अंकित हो गई है। 
 
सात दशक से भी अधिक का यह सफ़र, 
केवल वर्षों की गिनती नहीं, 
बल्कि तप, त्याग और 
सेवा की अमूल्य कहानी है। 
 
आपने सत्ता को लक्ष्य नहीं बनाया, 
सेवा को साधना बनाया, 
हर निर्णय में राष्ट्र की धड़कन सुनाई दी, 
हर योजना में भविष्य की झलक दिखाई दी। 
 
आपने कठिन राहों पर
हिम्मत के दीप जलाए, 
हर संकट में धैर्य का हाथ थामा, 
हर चुनौती में विश्वास की ज्योति जगाई। 
 
आपके विचारों में देश की आवाज़ है, 
आपके संकल्पों में हर नागरिक की आशा। 
आपके शब्दों में भरोसे की ताक़त है, 
आपके कर्मों में सेवा की परिभाषा। 
 
आपके शब्दों में देश का विश्वास है, 
आपके कार्यों में जन-जन का अधिकार, 
आपने चुनौतियों को अवसर में बदला, 
आपने निराशा को उम्मीद में बदल दिया। 
 
युवाओं की आँखों में सपने जगाए, 
किसानों के हाथों में श्रम का मान बढ़ाया, 
महिलाओं की शक्ति को पहचान दिया, 
विकास की राह में सबको
साथ चलने का संदेश दिया। 
 
आपने सिखाया
सपनों को लक्ष्य बनाना, 
लक्ष्य को प्रयास में बदलना, 
और प्रयास को राष्ट्र की 
प्रगति में समर्पित करना। 
 
आज आपके 75वें जन्मदिन पर, 
हम सिर झुकाकर नमन करते हैं
आपके नेतृत्व को, आपके धैर्य को, 
आपके संकल्प को, 
आपके अडिग विश्वास को। 
 
आज हम आपके जन्मदिन पर
सिर्फ़ बधाई नहीं देते, 
हम आपको धन्यवाद कहते हैं
कि आपने देश की मिट्टी को गर्व दिया, 
युवाओं के सपनों को दिशा दी, 
और हर भारतीय के मन में
आशा की नई किरण जलाई। 
 
हम प्रार्थना करते हैं
आपका जीवन स्वास्थ्य, शान्ति
और ऊर्जा से भरपूर रहे, 
आपकी यात्रा नए क्षितिज छुए, 
और देश आपके मार्गदर्शन में
नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर हो। 
 
आपकी सेवा राष्ट्र का गौरव है, 
आपका जन्मदिन हमारे लिए उत्सव है। 

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