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बापू (डॉ. सुशील कुमार शर्मा)

आँख पे चश्मा हाथ में लाठी
बापू तुम कितने हो सच्चे।
सदा तुम्हारे आदर्शों पर
चलते हैं हम भारत के बच्चे।

 

करम चंद के घर तुम जन्मे
दो अक्टूबर दिवस पवित्र।
पुतली बाई की कोख से जन्मा
ये भारत का विश्वमित्र।

 

तन पर एक लंगोटी पहने
सत्य अहिंसा मार्ग बताया।
अपने हक़ की लड़ो लड़ाई
निडर बनो ये पाठ पढ़ाया।

 

अत्याचार के प्रतिकार में
नहीं तुम्हारा सानी है।
तेरे संकल्पों के आगे
नहीं चली मनमानी है।

 

दक्षिण अफ्रीका के समाज पर
रंगभेद का साया था।
रंगभेद के इस दानव को
तुमने मार भगाया था।

 

अँग्रेज़ों का कालकूट था
जलियांवाला नरसंहार।
गाँधी का असहयोग आंदोलन
बना ज़ुल्म का फिर प्रतिकार।

 

अँग्रेज़ी चीज़ों का मिलकर
किया सभी ने बहिष्कार।
खादी और स्वदेशी नारे
बने स्वतंत्रता के हथियार।

 

स्वराज और नमक सत्याग्रह
गाँधी के हथियार थे।
अंग्रेजी शासन के ऊपर
ये हिंदुस्तानी वार थे।

 

दो टुकड़े भारत के देखो
सबके मन को अखरे थे।
हुआ स्वतंत्र राष्ट्र पर आख़िर
गाँधी सपने बिखरे थे।

 

तभी एक गोली ने आकार
संत हृदय को छेद दिया
कोटि कोटि जन के सपनों को
पल भर में ही भेद दिया।

 

जाति धर्म की दीवारों को
गाँधी ने तोड़ गिराया था।
त्याग, सत्य का मार्ग बता कर
ज्ञान का दीप जलाया था।
 

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