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घर घर फहरे आज तिरंगा

(अमृत महोत्सव पर गीत) 
 
साल पचहत्तर की स्वतंत्रता
चलो प्रेम के दीप जलाएँ। 
घर घर फहरे आज तिरंगा
अमृत महोत्सव चलो मनाएँ। 
 
आन बान निज शान तिरंगा
कोटि जनों की अभिलाषा है। 
भारत का यह गौरव मस्तक
यह भारत की परिभाषा है। 
केसरिया मस्तक है इसका
श्वेत हृदय अति सुखदायक है। 
हरियाली की चरण पादुका
कोटि कोटि मन का नायक है। 
 
गाँधी तिलक सुभाष भगत सिंह
आओ इनके गीत सुनाएँ। 
 
हर घर ऊपर रहे तिरंगा
फर फर फर फर यह फहराए। 
हर दुकान हर गली मोहल्ला
लहर लहर नित यह लहराए। 
हम सबके यह दिल की धड़कन
कभी न ये अब झुकने पाए। 
उज्ज्वल अटल अनादि तिरंगा
जन गण मन का गीत सुनाए। 
 
हम सब मिलकर भारतवासी
पार करेंगे सब बाधाएँ। 
 
यह वंदन है भारत माँ का
यह इस माटी का चंदन है। 
भारत माता का यह मस्तक
कोटि जनों का अभिनंदन है। 
यह क़ुरान की आयत जैसा
यह वेदों का दिव्य मंत्र है। 
सब धर्मों का संरक्षक यह
यह भारत का प्रजातंत्र है। 
 
बच्चे बूढ़े और युवा सब
आओ मिल कर ध्वज फहराएँ। 
साल पचहत्तर की स्वतंत्रता
चलो प्रेम के दीप जलाएँ। 
घर घर फहरे आज तिरंगा
अमृत महोत्सव चलो मनाएँ। 

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