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स्वतंत्रता दिवस पर दोहे

शुभ पचहत्तर वर्ष अब, आज़ादी के पूर्ण। 
नव विकास के पथ चले, भारत देश प्रतूर्ण। (प्रतूर्ण =वेगवान) 
 
मस्तक भय से मुक्त है, मुक्त ज्ञान के बंध। 
नवल विचारों को मिले, पौरुष भरे स्कंध। 
 
संविधान अनुसार ही, चलता भारत देश
जन गण मन सब एक हैं, भिन्न भले ही वेश। 
 
सत्यनिष्ठ स्वर्णिम बने, आज़ादी के साल। 
संघर्षों की राह में, ऊँचा भारत भाल। 
 
आज़ादी की राह में, दिया रक्त का दान। 
नमन शहीदों को करें, देकर श्रद्धा मान। 
 
हैं अनाम वो लाल सब, दिया जिन्होंने रक्त। 
आज शहीदों को सभी, करते श्रद्धा व्यक्त। 

दृढ़ निश्चय के मंच पर, कर्तव्यों के साज़। 
“भारत ही सर्वस्व मम,” एक उठे आवाज़। 
 
उठा तिरंगा हाथ में, चलो शपथ लें आज। 
नहीं रुकेंगे अब क़दम, नील गगन परवाज। 

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