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नवदुर्गा पर दोहे

 

शैलपुत्री
हिम राजा की तुम सुता, शैल सुता है नाम।
सत्य विजय सिद्धि मिले, भक्त के बनते काम॥
​ब्रह्मचारिणी
तप की देवी आप हो, ब्रह्मचारिणी नाम।
ज्ञान और वैराग्य से, देती हो सुख धाम॥
​चंद्रघंटा
मस्तक पर है चंद्रमा, चंद्रघंट है नाम।
दूर करो मन का तमस, भय का काम तमाम॥
​कुष्मांडा
कुष्मांडा जननी जगत,तुम में है ब्रह्मांड। 
रोग-शोक हरती सभी, देती भाग्य प्रकांड॥
​स्कंदमाता
स्कंद मात देवी प्रबल, जगन्मात हो आप।
प्रेम और ममतामयी, हरती मन के ताप॥
​कात्यायनी
कात्यायन ऋषि की सुता, देवी सत्य सुवेश।
असुरों का संहार कर, देतीं सिद्धि विशेष॥
​कालरात्रि
घोर रूप की धारिणी, कालरात्रि है नाम।
नाश अशुभ यह करें, पूरण सारे काम॥
​महागौरी
श्वेत वस्त्र की धारिणी, गौरी हृदय प्रवेश।
करे पाप का नाश यह , निर्मल हृदय निवेश॥
​सिद्धिदात्री
पूजन से सिद्धि मिलें, सिद्धिदात्री विशेष।
करो कामना पूर्ण तुम, दो आशीष अशेष॥
​नवदुर्गा महोत्सव
नवदुर्गा का पर्व यह, देता है संदेश।
रहो दिखावे से परे, मन में भक्ति विशेष॥

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