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गाडरवारा गौरव गान

1.
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
 
दक्षिण में सतपुड़ा खड़ा है
उत्तर में विंध्याचल झूमे। 
मातु नर्मदा पूरब पश्चिम
शक़्कर माँ माथा चूमे। 
भोले शंकर ध्यान लगा कर
बैठे हैं डमरू घाटी। 
सभी धर्म के लोग पालते
चैन अमन की परिपाटी। 
 
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
2.
राम घाट खेरापति, नरसिंह 
खिरका विष्णु मंदिर हैं
सार्वजनिक पुस्तक वाचन घर
राम जानकी सुंदर हैं
ओशो की अध्ययन शाळा है
माँ बंजारी धाम है। 
बिजली का संयंत्र लगा है
ऐन टी पी सी नाम है। 
 
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
3.
गाडरवारा की ये मिट्टी
सब के मन को सहलाती
फ़सलें सभी महकतीं इसमें
अन्नपूर्णा कहलाती। 
तुअर दाल, गुड़, सोया गेहूँ
धान चना सब यहाँ उगें। 
ज्वार बाजरा तेंदू महुआ
भोर उजाले यहाँ जगें। 
 
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
4.
विश्व पटल पर ज्ञान रश्मियाँ
ओशो ने बिखरायी हैं। 
बचपन अध्ययन मनो मनन की
रातें यहाँ बिताईं हैं
ओशो के दर्शन ने सारे
जग को दिया उजाला है। 
गाडरवारा के सपूत का
जलवा बड़ा निराला है। 
 
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
5.
आशुतोष नक्षत्र निराला
कला क्षेत्र का मान है। 
रामराज्य को रचा है जिसने
हम सबका अभिमान है। 
विश्व पटल पर गाडरवारा
जिसके नाम से है जाना। 
इस मिट्टी का प्रिय सपूत वह
प्राण पियारा है राना। 
  
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 
6.
गाडरवारा भाग्य हमारा
हृदय हमारे रहता है। 
गाडरवारा गौरव बन कर
रक्त में हरदम बहता है। 
आओ विकास के श्री पथ पर
इसको आगे ले जायेंगे। 
आओ मिल कर आज शपथ लें
इसको ज़िला बनाएँगे। 
  
पुण्यभूमि गाडरवारा को
हृदय नमन हम करते हैं। 
ज्ञान कला की इस नगरी का
मन अभिनंदन करते हैं। 

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