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शिक्षक पर दोहे - 2022

शिक्षक जीवन वृक्ष है, प्राणवायु है ज्ञान। 
अहंकार को नष्ट कर, देता सुपथ विधान॥ 
 
है दधीच का अंश यह, देता सब कुछ त्याग। 
शिष्य अगर अनुकूल है, पाता ज्ञान विभाग॥
 
शिक्षक दीप समान है, देता ज्ञान प्रकाश। 
भर देता है शिष्य के, बाँहों में आकाश॥ 
 
शिक्षक का होता सदा, आकर्षक व्यक्तित्व। 
ज्ञानवान गुणशील युत, पावन सरल समत्व॥ 
 
अध्ययन अनुशासन सहित, रखे शिष्य का ध्यान। 
प्रतिभा को विकसित करे, दे विद्या अनुदान॥
 
मित्र पिता-माता सभी, का होता है रूप। 
मन अँधियारे चीरता, शिक्षक तीखी धूप॥
 
कच्ची माटी शिष्य है, शिक्षक रहे कुम्हार। 
अनुशासन के चक्र पर, गढ़े शिष्य साभार॥
 
मात-पिता गुरु ऋण अटल, नहीं चुकें ये क़र्ज़। 
इनके चरणों में सदा, शीश नवाना फ़र्ज़॥ 
 
वर्तमान शिक्षक दुखी, पेंशन से है हीन। 
शिक्षक का सम्मान भी, शासन के अधीन। 

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