अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

चंद्रशेखर आज़ाद

जन्म भाभरा में हुआ, जगरानी थीं मात। 
पंडित सीताराम घर, जन्मा चंद्र प्रभात। 
 
भील बालकों संग में, पला बढ़ा था वीर। 
शेरों के सँग खेल कर, ख़ूब चलाए तीर। 
 
जलियाँवाला बाग़ में, हुआ घोर संहार। 
भारत के हर युवा का, शस्त्र क्रांति आधार। 
 
असहयोग का जब हुआ, बापू का फ़रमान। 
सड़कों पर थे सब युवा, मन संकल्प महान। 
 
गिरफ़्तार शेखर हुए, आंदोलन का दौर। 
पंद्रह बेंत शरीर पर, मिली सज़ा सिरमौर। 
 
बेंत पड़े जब पीठ पर, शेखर करे किलोल। 
भारत माता हो अमर, बस निकले मुख बोल। 
 
लाला का बदला लिया, कर सांडर को ढेर। 
राजगुरु शेखर भगत, थे भारत के शेर। 
 
केंद्र सभा में बम चले, हुआ विकट विस्फोट। 
बटुकेश्वर श्री दत्त सँग, करी भगत ने चोट। 
 
भगत, दत्त को जब मिला, फाँसी का फ़रमान। 
आँसू में सब बह गए, शेखर के अरमान। 
 
करें मंत्रणा पार्क में, बैठे थे आज़ाद। 
बाबर ने आकर किया, गोली से संवाद। 
 
अंतिम दम तक वो लड़ा, बची नहीं उम्मीद। 
ख़ुद को गोली मार कर, शेखर हुए शहीद। 
 
सत्ताइस थी फरवरी, सन इकतीस सुधन्य। 
अंतिम यात्रा पर गए, शेखर रत्न अनन्य। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अँधियारे उर में भरे, मन में हुए कलेश!! 
|

मन को करें प्रकाशमय, भर दें ऐसा प्यार! हर…

अटल बिहारी पर दोहे
|

है विशाल व्यक्तित्व जिमि, बरगद का हो वृक्ष। …

अमन चाँदपुरी के कुछ दोहे
|

प्रेम-विनय से जो मिले, वो समझें जागीर। हक़…

अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द
|

बादल में बिजुरी छिपी, अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द।…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

गीत-नवगीत

कविता

काव्य नाटक

सामाजिक आलेख

दोहे

लघुकथा

कविता - हाइकु

नाटक

कविता-मुक्तक

यात्रा वृत्तांत

हाइबुन

पुस्तक समीक्षा

चिन्तन

कविता - क्षणिका

हास्य-व्यंग्य कविता

गीतिका

बाल साहित्य कविता

अनूदित कविता

साहित्यिक आलेख

किशोर साहित्य कविता

कहानी

एकांकी

स्मृति लेख

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

ग़ज़ल

बाल साहित्य लघुकथा

व्यक्ति चित्र

सिनेमा और साहित्य

किशोर साहित्य नाटक

ललित निबन्ध

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं