अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव संकल्प 

शुभ विचार एकाग्रता 
हो कल्याण प्रकल्प। 
अहंकार का नाश ही 
होता शिव संकल्प। 
 
मृत्यु में जीवन निहित 
जीवन से उत्कर्ष। 
अधिष्ठात्र शिव देव हैं 
शिव संकल्प प्रकर्ष। 
 
सर्वमुक्त हैं शिव सदा 
हैं अनादि आलोक। 
प्राण अपान उदान में 
नभ अंतर भूलोक। 
 
सौम्य भयंकर शिव स्वयं 
अभ्यंकर अतिरूप। 
शून्य सूक्ष्म परमाणु तम 
अति विराट प्रारूप। 
 
शुद्ध सत्य निरपेक्ष हैं 
तत्व सार आदर्श। 
सृजन लिए संहार में 
मानवता प्रादर्श। 
 
राम जिन्हें उर में लिए 
भजते हैं दिन रात। 
रावण के भी इष्ट शिव 
किलष्ट शिष्ट निष्णात। 
 
देव दनुज मानव सभी 
जिनके हों प्रिय भक्त। 
पूर्ण मिदं पूर्णात शिव 
परिपूर्णम अभिसिक्त। 
 
शिव परिग्रह शिक्षित करे 
जीवन के आकल्प। 
दीन दुखी के दुःख हरो 
सत्य शिवम संकल्प। 
 
मस्तक पर चंदा सजे 
अरु विषधर शिव कंठ 
आत्म भूत ख़ुद को रखें 
छोड़ भोग वैकुण्ठ। 
 
निज सुख भोगों से विलग 
छोड़ राज सुख धाम। 
दीन हीन पशु संग शिव 
हैं अनादि आयाम। 
 
शिव चरित्र का संचरण 
है मुक्ति का छोर। 
घोर तिमिर का नाश कर 
शुभ निर्वाण विभोर। 
 
हैं शिव कल्याणक सदा 
परम सरल आवाह्य। 
महादेव निज शरण लो 
जप लो नमः शिवाय। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

गीत-नवगीत

कविता

काव्य नाटक

सामाजिक आलेख

दोहे

लघुकथा

कविता - हाइकु

नाटक

कविता-मुक्तक

यात्रा वृत्तांत

हाइबुन

पुस्तक समीक्षा

चिन्तन

कविता - क्षणिका

हास्य-व्यंग्य कविता

गीतिका

बाल साहित्य कविता

अनूदित कविता

साहित्यिक आलेख

किशोर साहित्य कविता

कहानी

एकांकी

स्मृति लेख

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

ग़ज़ल

बाल साहित्य लघुकथा

व्यक्ति चित्र

सिनेमा और साहित्य

किशोर साहित्य नाटक

ललित निबन्ध

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं