सपने
काव्य साहित्य | कविता दीपमाला15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
सपने वो हैं जो सोते हुए नहीं,
जागते हुए देखे जाते हैं।
सपने वो हैं जो हर पल
आँखों में झिलमिलाते हैं।
हम सपने देखना छोड़ नहीं सकते
यह सोच कर कि
कल पूरे हों या नहीं,
बल्कि सपने तो वो होते हैं जो
हक़ीक़त में बदले जाते हैं।
हर व्यक्ति का एक सुंदर सपना होता है
जो बिल्कुल उसका अपना होता है
उसे ही पूरा करने की धुन में
हम ख़ुद को उम्र भर तपाते हैं।
एक दिन जब तब्दील होता है
हक़ीक़त में वह सपना
आँसू ख़ुशी के हमारी
आँखों में झिलमिलाते हैं।
सपने वह होते हैं जो
जागते हुए देखे जाते हैं।
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