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हमारा गौरव

 

हिंदुस्तानी ही हैं हम सब
पहचान हमारी हिंदी है, 
जिस हिंदी भाषा का गौरव
बढ़ा देती इक छोटी सी बिंदी है। 
 
लाख चलन में हो अंग्रेज़ी
मान ना हिंदी का कम होगा
गिटर पिटर कर लो इंग्लिश में
मन हल्का हिंदी से ही होगा। 
 
सर्व सुलभ जन की भाषा है
रूप-रंग इसका सादा है
भारतीय संस्कृति का मान है
इससे हमारी पहचान है। 
 
हिंदी में जब बतियाते हैं
मन के भेद सब खुल जाते हैं, 
अपनापन और भाईचारा
हिंदी जतलाती है सारा। 
 
रिश्तों में गर्माहट भरती
प्यार दुलार को संचित करती
सारे भावों की है सहेली
हर अंचल की ये है बोली
 
ग़ुस्सा हो या हँसी ठिठोली, 
दुश्मन हो या हो हमजोली
हिंदी तो है सबकी बोली
भर देती भावों से झोली। 
  
गीता हो या हो रामायण
तुलसी, सुर हो या हो बादरायण
हिंदी के सब ही क़ायल हैं
इसके मर्म में सब घायल हैं। 
 
संस्कृतियों को पास ये लाती
विविधता में एकता को दिखाती
देश के कोने-कोने से जन को
इक धागे में बाँध ये लाती। 
 
भारतीय हो तो प्रण ये कर लो
छोटी सी बात इक ध्यान में धर लो। 
मातृभाषा को कभी न छोड़ो
कार-व्यवहार में हिंदी ही बोलो। 
 
गौरव गान इसी का करना
हिंदी का मान सदा ही रखना, 
भारत माँ की शान है
हिंदी हमारी पहचान है। 

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