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माँ नहीं बदली

 

हम कहते हैं ज़माना बदल गया है
पर माँ है कि बिल्कुल नहीं बदली
वह अभी भी वही पुरानी है। 
 
सब कुछ कितना आधुनिक हो गया है। 
पर माँ का वात्सल्य, 
आज भी वही पुराना है
 
कितनी भी आधुनिक क्यों ना हो जाए माँ 
फिर भी बच्चों के लिए उसकी फ़िक्र
आज भी वही पुरानी है। 
 
आज भी काम के साथ
हर पल होती है बच्चों की याद। 
आज भी ख़ुद की पसंद से पहले, 
सोचती है बच्चों की पसंद के बारे में। 
उसकी ये सोच आज भी वही पुरानी है। 
 
बच्चों की सफलता के लिए 
व्रत करती है, दुआएँ देती है ढेर सारी। 
भर लेती है अपने आँचल में उनके सारे दुख 
तकलीफ़ें समेट लेती है उनकी सारी। 
उसका अंतर्मन आज भी वही पुराना है। 
 
पल भर आँच नहीं आने देती बच्चों पर
साये की तरह होती है सदा उनके साथ। 
उसकी ममता का सुरक्षा कवच
आज भी वही पुराना है। 

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