दीप तुम यूँ ही जलते जाना
काव्य साहित्य | कविता दीपमाला1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
चीर तिमिर के सघन हृदय को
प्रकाश किरण फैलाना।
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
कभी प्यार बन किसी हृदय में
स्नेह के बीज उगाना।
कभी वर्षा बन शुष्क हृदय में
प्रेम फुहार बरसाना।
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
इक नारी के व्यथित मन की
पीड़ा तुम हर लेना।
उसके आहत तन-मन में तुम
आशा की किरण जगाना।
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
प्रतिबिंब धर्म का हो तुम दीपक
सत्य की ज्योति जगाना।
अच्छाई और सच्चाई का
सदा ही अलख जगाना।
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
राम विजय पर लोगों ने जब
दीप प्रकाश किया था
विजय धर्म की हुई थी और
अधर्म का नाश हुआ था।
आज भी जग में सच्चाई को
यूँ ही चिह्नित करते जाना।
दीप तुम यूँ ही जलते जाना।
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