गोकुल में सखा संग
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र मिश्र ‘भास्वर’1 Dec 2022 (अंक: 218, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
घनाक्षरी छंद
गोकुल में सखा संग, मन में भरे उमंग।
हाॅंडी को तोड़ कृष्ण, माखन चुरा रहे॥
गागर में जल भर, जा रही हैं ग्वालिनें जो।
मारकर कंकड़ वो, जल को गिरा रहे॥
मधुवन में जाते हैं, गायों को चराने हेतु।
बाॅंसुरी की तान वहाॅं, सबको सुना रहे॥
कृष्ण के अनेक रूप, जानता है जग सारा।
अनुपम लीलाओं से, सबको लुभा रहे॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
दोहे
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
कविता
गीतिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं