जितेन्द्र मिश्र ‘भास्वर’ - 004 दोहे
काव्य साहित्य | दोहे जितेन्द्र मिश्र ‘भास्वर’1 Apr 2023 (अंक: 226, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
1.
उज्ज्वल छवि जिसकी हुई, उसका होता मान।
रखते उसको याद सब, करते हैं गुणगान॥
2.
दाग़दार बलवान हो, चाहे हो धनवान।
निश्चित ही है एक दिन, होता अपयश गान॥
3.
कड़क रही बिजली बहुत, घिरी घटा घनघोर।
ज़ोरदार वर्षा हुई, इतने में चहुॅं ओर॥
4.
शकुनी भी हैं कुछ यहाॅं, अपनों के ही बीच।
रहते हैं वो साथ में, हरकत करते नीच॥
5.
फूली सरसों खेत में, दिखती सुंदर पीत।
नवल चेतना छा गयी, बीत गयी अब शीत॥
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