मन क्या है?
काव्य साहित्य | कविता जैस्मिन शर्मा1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
निर्मल मन, घोर तपस्या
कलुषित कामनाएँ, संकीर्ण व्यथाएँ!
संयम है एक नियम,
संयम, विचारों का,
संयम, हृदय में उठे फ़व्वारों का,
संयम है एक नियम,
व्यथा भार जीवन का।
निष्क्रिय कल्पनाएँ, घटित व्यथाएँ
संकुचित मन, विभ्रम जीवन का
मयावयी जीवन की कुछ क्रियाएँ
स्वतंत्र अंतर्मन, मौन अधर
जीवन के हैं ये आडम्बर
कुछ दृश्य, प्रफुल्लित मन
और अश्रु हैं नयन
अतीत के चित्र,
और वर्तमान के कुछ मनमीत
जीवन के यही हैं कुछ संगीत
संयम ही है एक मनमीत
संयम ही है एक मनमीत।
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सरोजिनी पाण्डेय 2024/06/02 01:32 PM
अच्छा प्रयास