आँसू
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ज़ेबा रशीद20 Feb 2019
आँसू की
मौखिक भाषा होती है
बहुत मुखर
न समझो इसे बूँद
समन्दर से गहरा होता है
एक कतरा आँसू।
शब्द
नहीं कह पाते हैं जो
कह देते हैं आँसू
न समझो इसे बूँद
समन्दर से गहरा होता है
एक कतरा आँसू।
जुबां
नहीं कह पाती
वो कह देता है आँसू
शक्तिशाली होता है ये
दिल को घायल कर देता है
एक कतरा आँसू।
रोकने से
नहीं रुकता आँसू
मुसाफ़िर ये बड़ा चंचल है
ग़म और खुशी के आँसू
छलक कर
खुशी या दर्द बयां कर देता है
एक कतरा आँसू।
दहक उठता है
जब दर्द छलक जाता है
आँसू
गर
पलक पर रुक जाता है
शोला बन जाता है
एक कतरा आँसू।
सूनी आँखों से बहते हैं
प्रतीक्षा के आँसू
किसी का मन
भिगो देता है
एक कतरा आँसू।
कमज़ोर पड़ जाते हैं
जो सह नहीं सकते आँसू
दूरियाँ मिटा देता है
एक कतरा आँसू।
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