बसंत पंचमी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. अंकिता गुप्ता1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
है मन भावन,
है मन लुभावना
बसंत ऋतु है बड़ा सुहावना।
हर तरफ़ फूलों कि है बहार,
बग़िया भी हो रही है रंगों से गुलज़ार,
मंद मंद सुगंध लिए,
आ गया है बसंत पंचमी का त्यौहार।
वाणी, कला, संगीत, और ज्ञान,
है इस पर्व का आधार,
आज करते हैं पीले रंग से,
माँ सरस्वती का शृंगार।
है हमारी ये प्रार्थना,
मिट जाये अज्ञानता का अन्धकार,
अग्रसर हो हम जीवन में,
हो जाये नव चेतना का संचार।
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