इच्छा है
काव्य साहित्य | कविता स्नेहा1 Jan 2022 (अंक: 196, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
अगर मैं तुम्हें सुनना चाहती हूँ
तो इसमें तुम्हारा गौरव नहीं
मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनने
की बहुत इच्छा है . . .
अगर मैं तुम्हें देखना चाहती हूँ
तो इसमें तुम्हारा सौंदर्य नहीं
मुझे तुम्हारी आँखें देखने
की बहुत इच्छा है . . .
अगर मैं तुम्हारी हृदय गति
को नापना चाहती हूँ
तो मैं तुम्हारी माशूक़ नहीं
मुझे वहाँ दस्तक देने की बहुत इच्छा है . . .
अगर मैं तुम्हें महसूस
करना चाहती हूँ
तो इसमें तुम्हारी परछाई की आहट नहीं
मुझे सिर्फ़ तुम में विलीन होने की बहुत इच्छा है . . .
अगर मैं तुम्हें याद करना चाहती हूँ
तो तुम मेरे पाठ्यक्रम नहीं
मुझे तुम्हें अपनी स्मृतियों में
जगह देने की बहुत ही इच्छा है . . .
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