माँ की कोई उम्र नहीं होती
काव्य साहित्य | कविता डॉ. परमजीत ओबराय1 Jun 2023 (अंक: 230, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
माँ की कोई उम्र नहीं होती,
वह तो रेशम की . . .
डोरी है होती,
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
बहुत सुशील, विनम्र और सभ्य . . .
सब गुणों से भरपूर होती,
क्योंकि . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
दे जन्म बालक-बालिका को . . .
मस्तक उसका है सँवारती,
अथक परिश्रम कर निरंतर . . .
दुःख-दर्द सब झेलती जाती।
क्योंकि . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
जब तक माँ का . . .
साया हो सिर पर,
न दुनिया यह . . .
बेगानी लगती।
सदा संगीन आदर्श . . .
मूर्ति वे,
आगे ही आगे है बढ़ती,
क्योंकि . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
वृद्धावस्था में जब उनके . . .
प्राण पखेरू . . .
हैं जो उड़ते,
अश्रुधारा तब हमारी . . .
है थमती न थमे।
रह-रह सोचकर . . .
उनका भोला चेहरा,
सोच आँखें सदा जो . . .
नम हैं होती,
क्योंकि . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
अफ़सोस जब लोग . . .
हैं करते,
न बता पाते हम . . .
मन अपने की,
धधक भट्टी-सी माँ,
और, और हैं प्यारी लगती।
इसलिए मत पूछिए . . .
यही है,
उत्तर मेरा कि . . .
माँ के प्यार को पाने,
समझने और जानने में . . .
उम्र है लगती।
वे हमारे जीवनभर . . .
स्वप्न हैं सँजोती,
क्योंकि
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
दे . . .दे आँसुओं से आशीर्वाद . . .
स्वयं आँसुओं से,
मुख अपना थीं धोतीं।
सच है, हाँ . . .हाँ सच है,
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
अब जाना वास्तव में,
वे मूरत सदा हैं . . .
भगवान की होती।
न रहकर भी . . .
अमर जो होती,
इसलिए सोचना कि . . .
माँ की अवस्था क्या थी?
यह सोचकर है . . .
सोच, सोच को रोती,
क्योंकि . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
वे थीं उठीं पहाड़ से . . .
कोहरे के रूप में,
फिर बादल बनकर . . .
रूप मुझे दे,
बरस जीवनभर . . .
संघर्षों में,
फिर पंख फैलाए . . .
हैं जो उड़ती।
जी हाँ . . .
माँ की कोई उम्र नहीं होती,
माँ की कोई उम्र नहीं होती।
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ख़ुर्रम रुबाब 2023/11/26 08:21 PM
अति-उत्तम......।