सदा कामना मेरी
काव्य साहित्य | कविता रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’21 Feb 2019
सदा कामना मेरी -
कुछ अच्छा करने की
सबक दुख हरने की।
हर फूल खिलाने की
हर शूल हटाने की।
सदा कामना मेरी -
हरियाली ले आऊँ
खुशहाली दे पाऊँ।
नेह नीर बरसाऊँ
धरती को सरसाऊँ।
सदा कामना मेरी -
मैं सबकी पीर हरूँ
आँधी में धीर धरूँ।
पापों से सदा डरूँ
जीवन को नया करूँ।
सदा कामना मेरी -
नन्हीं पौध लगाऊँ
सींच-सींच हरसाऊँ।
अनजाने आँगन को
उपवन-सा महकाऊँ।
सदा कामना मेरी -
हर मुखड़ा दमक उठे।
आँखें सब चमक उठें।
अधर सभी मुसकाएँ
मीठे गीत सुनाएँ।
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