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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु - 1

माहिया

1.
तुम चन्दा अम्बर के
मैं केवल तारा
चाहूँगा जी भरके।

2.
तुम केवल मेरे हो
साँसों में ख़ुशबू
बनकरके घेरे हो।

3.
जग दुश्मन है माना
रिश्ता यह दिल का
जब तक साँस निभाना।

4.
तुझको उजियार मिले
बदले में मुझको
चाहे अँधियार मिले।

5.
तुम सागर हो मेरे
बूँद  तुम्हारी हूँ
तुझसे ही लूँ फेरे।

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