हादसे के बाद
काव्य साहित्य | कविता डॉ. उषा रानी बंसल15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
उस हादसे के बाद
आँखें सदा गीली
और गला भरा भरा सा रहता है।
बात बे-बात नयन
बे-मौसम बरसात से बरसने लगते हैं।
गला रुँध रुँध जाता है
दिल उदास और दिमाग़
कहीं खोया खोया सा रहता है।
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