राम ही राम
काव्य साहित्य | कविता डॉ. उषा रानी बंसल1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
सिया राम मैं सब जग जानी
करहऊं प्रणाम जोर जुग पानी।
ऐसे राम हैं जगत के राम,
राम गुरु, राम ही माता,
राम पिता, बंधु, साईं राम।
राम प्राण प्रिय जीवन जी के,
भक्तों के राम —
रावण के मन बसते राम
बाली के बल में है राम
जीवन के हर काम में, राम ही राम,
राम ही राम राम ही राम।
भोजन करते राम राम,
काम करते राम राम,
नहाते राम, धोते राम, गाते राम,
हँसते राम,रोते राम– अरे राम
(क्या कर डाला राम)।
जीवन राम, मरण है राम –
राम नाम सत्य है/ सत् है,
तन में राम,मन में राम,
सुख में राम, दुख में राम,
(हाय-हाय क्या कर डाला राम)
दुआओं में हैं राम राम।
नफ़रत में भी राम हैं,
(राम करे तेरा बेड़ा गरक हो)
घर का सेवक राम ग़ुलाम।
राम ही केवल राम राम —
घर में जन्मे राम राम,
बालक अपना राम प्यारा,
सूरत इसकी राम राम
इस पर पर रीझे राम सकल ,
राम सरल है बिल्कुल साधो राम,
लाखों में अपना एक राम,
राम नगीना,राम रतन है राम धनी,
अपना लाल तो राम समान।
जीवन चर्या राम के नाम -
ठुमकते राम, मचलते राम, चलते राम,
गिरते राम, सँभलते राम,
राम जिआवन राम खिलवान,
अनेक नाम धराते राम,
पढ़ते राम, लिखते राम,
राम लेखी राम राम,
याद धराते राम ही राम।
पल पल के साथी हैं अपने राम,
न कोई ऊँचा न कोई नीचा
कोल किरात भील, बनवासी,
कंद मूल फल खाये राम,
भक्ति भाव - प्रेम के प्यारे हैं अपने राम,
झूठे बेर भिलनी के खाये राम,
ऐसे अपने प्रेम पियारे राम।
राम कृपा ने पत्थर तारे,
सब सम्प्रदायों में द्वंद्व समास हैं—
राम सेतु हैं सम्प्रदान राम -
रंगास्वामि पेरुमाल राम,
राम के ईश हैं रामेश्वरम राम,
दक्षिण में शिव राम बिराजें,
काशी में बसते शिवशंकर राम,
सब रटते सब साईं राम,
राम जी करें भला, कहते साईं राम।
भक्तों के भक्त हैं अपने राम,
तुलसी के राम, जायसी, रसखान, क़ुत्बन,
रैदास के साधो राम,
रामानन्द, नामदेव, ज्ञानेश्वर,
तुकाराम के राम बने हैं राम दास।
सबके अपने अपने राम -
सगुणों के राम रामानुज, तो कण में बिराजें -
कबीर के निर्गुणियाँ राम,
कण कण में बसते अपने राम।
गंगा राम, जमुना राम,
जड़ चेतन सब राम राम,
राम अनादि, राम अनंता,
राम की रचना राम ही जाने,
घट घट बासी अपने राम,
पाले, पोसे और संहारे,
मुक्ति दाता नर हरि राम ,
अनिकेत, अविनाशी,बअसीम,
दिग दिगंत नर-नारायण राम।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
सामाजिक आलेख
- कुछ अनुभव कुछ यादें—स्लीप ओवर
- दरिद्रता वरदान या अभिशाप
- पूरब और पश्चिम में शिक्षक का महत्त्व
- भारतीय नारी की सहभागिता का चित्रांकन!
- मीडिया के जन अदालत की ओर बढ़ते क़दम
- वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय लोकतंत्र में धर्म
- सनातन धर्म शास्त्रों में स्त्री की पहचान का प्रश्न?
- समान नागरिक संहिता (ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में)
कविता
- आई बासंती बयार सखी
- आज के शहर और कल के गाँव
- आशा का सूरज
- इनके बाद
- उम्मीद का सूरज
- उलझनें ही उलझनें
- उसकी हँसी
- ऊँचा उठना
- कृष्ण जन्मोत्सव
- चित्र बनाना मेरा शौक़ है
- जाने समय कब बदलेगा
- प्रिय के प्रति
- बिम्ब
- बे मौसम बरसात
- भारत के लोगों को क्या चाहिये
- मैं और मेरी चाय
- मैसेज और हिन्दी का महल
- राम ही राम
- लहरें
- लुका छिपी पक्षियों के साथ
- वह
- वक़्त
- संतान / बच्चे
- समय का क्या कहिये
- स्वागत
- हादसे के बाद
- होने न होने का अंतर?
- होरी है……
- ज़िंदगी के पड़ाव ऐसे भी
ऐतिहासिक
- 1857 की क्रान्ति के अमर शहीद मंगल पाण्डेय
- 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान भारत में उद्योग
- औपनिवेशिक भारत में पत्रकारिता और राजनीति
- पतित प्रभाकर बनाम भंगी कौन?
- भारत पर मुस्लिम आक्रमणों का एक दूसरा पक्ष
- शतरंज के खिलाड़ी के बहाने इतिहास के झरोखे से . . .
- सत्रहवीं सदी में भारत की सामाजिक दशा: यूरोपीय यात्रियों की दृष्टि में
- सोलहवीं सदी: इंग्लैंड में नारी
- स्वतंत्रता आन्दोलन में महिला प्रतिरोध की प्रतिमान: रानी लक्ष्मीबाई
सांस्कृतिक आलेख
सांस्कृतिक कथा
- इक्कसवीं सदी में कछुए और ख़रगोश की दौड़
- कलिकाल में सावित्री व सत्यवान
- क्या तुम मेरी माँ हो?
- जब मज़ाक़ बन गया अपराध
- तलवार नहीं ढाल चाहिए
- नये ज़माने में लोमड़ी और कौवा
- भेड़िया आया २१वीं सदी में
- मुल्ला नसीरुद्दीन और बेचारा पर्यटक
- राजा प्रताप भानु की रावण बनने की कथा
- रोटी क्या है?: एक क़िस्सा मुल्ला नसीरुद्दीन का
हास्य-व्यंग्य कविता
स्मृति लेख
ललित निबन्ध
कहानी
यात्रा-संस्मरण
शोध निबन्ध
रेखाचित्र
बाल साहित्य कहानी
लघुकथा
आप-बीती
यात्रा वृत्तांत
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
बच्चों के मुख से
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं