दर्द
काव्य साहित्य | कविता विजय कुमार सप्पत्ति3 May 2012
जो दर्द तुमने मुझे दिए,
वो अब तक सँभाले हुए हैं !!
कुछ तेरी ख़ुशियाँ बन गई हैं
कुछ मेरे ग़म बन गए हैं
कुछ तेरी ज़िंदगी बन गए हैं
कुछ मेरी मौत बन गए हैं
जो दर्द तुमने मुझे दिए,
वो अब तक सँभाले हुए हैं !!
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