आँसू
काव्य साहित्य | कविता विजय कुमार सप्पत्ति3 May 2012
उस दिन जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा,
तो तुमने कहा..... नहीं..
और चंद आँसू जो तुम्हारी आँखों से गिरे..
उन्होंने भी कुछ नहीं कहा... न तो नहीं ... न तो हाँ ..
अगर आँसुओं कि जुबान होती तो ..
सच झूठ का पता चल जाता ..
जिंदगी बड़ी है .. या प्यार ..
इसका फैसला हो जाता...
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