मौनता
काव्य साहित्य | कविता विजय कुमार सप्पत्ति3 May 2012
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
जिसे सब समझ सके, ऐसी परिभाषा देना;
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि, मैं अपने शब्दों को एकत्रित कर सकूँ
अपने मौन आक्रोश को निशांत दे सकूँ,
मेरी कविता स्वीकार कर मुझमे प्राण फूँक देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि मैं अपनी अभिव्यक्ति को जता सकूँ
इस जग को अपनी उपस्तिथि के बारे में बता सकूँ
मेरी इस अन्तिम उद्दंडत को क्षमा कर देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि, मैं अपना प्रणय निवेदन कर सकूँ
अपनी प्रिये को समर्पित, अपना अंतर्मन कर सकूँ
मेरे नीरस जीवन में आशा का संचार कर देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि, मैं मुझमे जीवन की अनुभूति कर सकूँ
स्वंय को अन्तिम दिशा में चलने पर बाध्य कर सकूँ
मेरे गूँगे स्वरों को एक मौन राग दे देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि मुझमे मौजूद हाहाकार को शान्ति दे सकूँ
मेरी नपुसंकता को पौरुषता का वर दे सकूँ
मेरी कायरता को स्वीकृति प्रदान कर देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि मैं अपने निकट के एकांत को दूर कर सकूँ
अपने खामोश अस्तित्व में कोलाहल भर सकूँ
बस, जीवन से मेरा परिचय करवा देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
ताकि , मैं स्वंय से चलते संघर्ष को विजय दे सकूँ
अपने करीब मौजूद अन्धकार को एकाधिकार दे सकूँ
मृत्यु से मेरा अन्तिम आलिंगन करवा देना
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना,
जिसे सब समझ सके, ऐसी परिभाषा देना;
मेरी मौनता को एक अंजानी भाषा देना….
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