धर्म
काव्य साहित्य | कविता भीकम सिंह15 Nov 2022 (अंक: 217, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
धर्म के उजालों में
ढूँढ़ते हूर
निकल आये
शताब्दियों दूर।
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