गाँव-3
काव्य साहित्य | चोका भीकम सिंह1 Apr 2023 (अंक: 226, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
गाँवों ने देखा
खेतों में उतरके
बड़े सदौसे
मृदा का खंड-खंड
पानी को कोसे
चित पड़ा है खेत
सूखे चौमासे
मेघों के टूट गये
ढोल-औ-तासे
गाँव के गाँव हुए
जैसे पानी के प्यासे।
सदौसे=अल-सुबह
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