आईसिस की शाखा
कथा साहित्य | लघुकथा भीकम सिंह15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
रास्ता स्लिपरी हो गया था। पूरा पहाड़ मुझे टूटा-फूटा और हिम से भरा नज़र आ रहा था। मेरा मित्र जो हड़बड़ाकर गिर गया था, मैंने उसकी ओर हाथ बढ़ाकर उसे जैसे ही उठाया . . . उसके मुँह पर हिम का एक थपेड़ा पड़ा। केदारकांठा ट्रैक पर स्नोफ़ॉल नंगा होकर नाच रहा था। मैंने कनपटियों को ढाँकने के लिए रेनशीट को दाँतों के बीच दबा रखा था।
“रुको यहीं!” गाईड पीछे से चिल्लाया।
“ओके!” मैंने वहीं से जवाब दिया।
फिर अपने हाथ से रोडोडेंड्रोन की शाखा पकड़कर जैसे मैं थोड़ा आगे बढ़ा, गाईड फिर चिल्लाया, “डोन्ट बी गामा, दा लैण्ड ऑफ़ लामा ।”
और मैं पहाड़ के उसी हिस्से पर टेक लगाकर बैठ गया, जो अभी तक सुरक्षित बचा हुआ था। फिर मैंने प्यार और कृतज्ञता भरी नज़रों से प्रकृति का वह शिल्पकर्म देखा जिसे हमने बुलडोज़र, डायनामाइट, आरो और कुल्हाड़ो से तोड़ दिया है—आईसिस (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़ एंड सीरिया) जैसे मंदिर, मस्जिद, म्यूज़ियम और मज़ारों को तोड़ता है।
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पाण्डेय सरिता 2023/09/17 08:44 PM
कम शब्दों में बढ़िया कहानी