मनोभाव
काव्य साहित्य | कविता भीकम सिंह1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
आड़ा,
और तिरछापन
फँसा रहा जीवन में
सीधा हुआ नहीं
मैं रहा हमेशा
सीधेपन में
मन को मिले
चिंता के, तानें-बानें
अपनेपन में
तुम मानों या ना मानों
ये मनोभाव होते ही हैं
नश्वर तन में।
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