प्रेम – 01
काव्य साहित्य | कविता भीकम सिंह15 Mar 2024 (अंक: 249, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
सिर्फ़ सपना-सा
रह गया
तेरा प्यार,
सिलसिला देकर।
लौट जाता है
बार-बार
सिर्फ़,
मुस्कान लेकर।
देखता हूँ
इस बार लौटेगा क्या
मेरे हाथों की,
लकीर लेकर।
याद नहीं मुझे
किसलिए
रूठ गया है,
ठिठकी-सी रात देकर।
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