नींद
काव्य साहित्य | कविता - क्षणिका भीकम सिंह1 Nov 2022 (अंक: 216, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
वृद्धावस्था में
मानस पथ से
भटक जाती है नींद
अकस्मात्।
उधेड़बुन में
फिर घूमती है
आवारा-सी
सारी रात।
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