प्रेम
काव्य साहित्य | कविता-ताँका भीकम सिंह1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
1.
प्यार में कुछ
टूटके गिरे लम्हे
कुछ ढूह-से
टिके रहे अधूरे
टीस से भरे-पूरे।
2.
लेकर खड़ा
टूटे वादों के निशां
सदी से प्रेम,
अपने ही भीतर
देखें खुरचकर।
3.
प्यार से कभी
मन नहीं भरता
अधूरापन
अंतर्लाप करता
ज्यों तहों में उठता।
4.
दबा कुचला
प्यार महक उठा
गूॅंजा तराना
जब भी कभी खुला
बक्सा कोई पुराना।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
प्रीति अग्रवाल ’अनुजा’ – ताँका – 001
कविता-ताँका | प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'1. खोजते फिरे ईश्वर नहीं मिला हृदय…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
यात्रा-संस्मरण
शोध निबन्ध
कविता
कविता-ताँका
- प्रेम
- भीकम सिंह – ताँका – 001
- भीकम सिंह – ताँका – नदी 001
- भीकम सिंह – ताँका – नदी 002
- भीकम सिंह – ताँका – नव वर्ष
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 001
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 002
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 003
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 004
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 005
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 006
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 007
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 008
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 009
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 010
लघुकथा
कहानी
अनूदित लघुकथा
कविता - हाइकु
चोका
कविता - क्षणिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं