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किसान

जापानी विधा चोका
 
अरे किसान
तू कितना महान
तेरे गुणों का
दुष्कर है बखान।
तेरी ये खेती
सुख सुविधा देती
भूख मिटा के
जीवन नौका खेती।
हल न रुके
बाधाओं से न झुके
पसीना बहा
सोते हो पर भूखे।
कर्ज में डूबे
फिर भी हो प्रसन्न
उपजा अन्न
देश करो संपन्न।
तुझे क्या मिला
मेहनत का सिला
मौसम बैरी
पर न कोई गिला।
आह तू भरे
आत्महत्या भी करे
पर सब की
भूख भी तू ही हरे।
सत्ता लाचार
निर्मोही सरकार
पर तू निर्विकार।
 

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