फ़ादर्स डे
काव्य साहित्य | कविता वन्दना पुरोहित15 Jun 2024 (अंक: 255, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
दिन, महीने, साल आते हैं बीत जाते हैं।
अब न जुड़ती हैं आपकी नई यादें,
सिलसिला यादों का ठहरा है वहीं।
आँखें है नम आपका करते हैं वंदन,
फ़ादर्स डे पर आपको क्या करे अर्पण।
न दिखायी देती अब आपकी मुस्कान
न सुनाई देती ऊर्जामयी आवाज़।
नयनों को भीगो करते हैं याद
ज़िंदादिली पर आपकी गर्व करते हैंआज।
आपकी राह पर मिलकर चले सब साथ,
है यही तोहफ़ा प्रेम का आपको स्वीकार।
फ़ादर्स डे पर आपको क्या करें अर्पण
जीवन मेरा आपका मार्गदर्शन।
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