अलविदा 2023
काव्य साहित्य | कविता वन्दना पुरोहित1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
अलविदा तुम्हें
2023
न दी कोई ख़ुशी
न दिया कोई रंग।
हर रोज़ थी तुमसे
नई ख़ुशियों नये रंगो की उम्मीद।
पर
न कोई गिला
न कोई शिकवा है तुमसे।
बस अब
संग अपने ले जाना
उम्मीद के रूठे पल।
जाते जाते दे जाना
ख़ुशियों के नए रंग।
अलविदा 2023
अलविदा।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
कहानी
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं