मलाल रह जायेगा
काव्य साहित्य | कविता वन्दना पुरोहित1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
वर्ष बीत जायेगा
मलाल रह जायेगा।
बीते लम्हों को सँजो लो
अपनों से बतिया लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा . . .
गुफ़्तुगू का दौर शुरू कर लो
कुछ कॉल कुछ मुलाक़ात कर
अपनापन जता लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा . . .
प्रेम से ये अमृत
पी लो ज़रा
दूर कर गिले शिकवे
ख़ुशी के लम्हें जी लो ज़रा।
वर्ष बीत जायेगा
मलाल रह जायेगा।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कहानी
कविता
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं