आया बसंत
काव्य साहित्य | कविता वन्दना पुरोहित15 Feb 2024 (अंक: 247, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
झूमता गाता
नव पल्लव नव गीत लिए
ऋतुराज आया बसंत।
बाग़ों में फुलवारी
जीवन में ख़ुशहाली
लाया बसंत।
रंगों को बरसाने
प्रकृति हर्षाता
रंग रँगीला आया बसंत।
नव कोंपल नव यौवन
प्रेम रस बरसाता
आया बसंत।
शीतल बयार
बसंती त्योहार लिए
आया बसंत।
वीणा की तान
कोयल कि कुहू कुहू सुनाता
मदमाता आया बसंत।
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