बहू का दर्द
कथा साहित्य | कहानी वन्दना पुरोहित1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
जाने क्यों आज अपने बेटे प्रतीक का पक्ष ले रही सीमा को मन ही मन दुख हो रहा था अपनी बहू तारा के लिए। क्योंकि वो ग़लत का साथ दे रही थी। ऐसे पति के साथ कोई रह भी कैसे सकता है?
बस सीमा तो अपने बेटे कि उजड़ती गृहस्थी को नहीं देख पा रही थी इसलिए अपने बेटे की ग़लतियों पर पर्दा डाल रही थी।
बहू तारा ने जब सीमा के पाँव पकड़ सही का पक्ष लेने को कहा तो सीमा की रुलाई फूट पड़ी और बोली, “बेटा समय रहते अगर मैं इस बेटे का पक्ष न लेती तो आज ये दिन न देखना पड़ता। मुझे माफ़ कर दो।”
तारा ने सीमा को गले लगा लिया बोली, “आप अब सही हो माँ। मेरा पक्ष ले आपने मुझे बहू से बेटी बना लिया लेकिन इन हालातों में प्रतीक के साथ रहना मुमकिन नहीं। अब छोटू पर भी इन परिस्थितियों का असर होता है। वो मुझसे अपने पापा के बारे में जो सवाल पूछता है उनका में क्या जवाब दूँ?”
सीमा निरुत्तर थी उससे भी कभी-कभी सहमा-सा छोटू अपने पापा के व्यवहार पर सवाल करता लेकिन उसके पास कोई जवाब न होता। नशे में प्रतीक के बहकते क़दम और उसकी नशे में बोली जाने वाली गाली-गलौज करना साथ ही तारा को मारना। ये सब दिन-प्रतिदिन असहनीय होता जा रहा था फिर छोटू तो बच्चा था।
सीमा को अब अपने बरसों पहले की ग़लती का अहसास हो रहा था। प्रतीक जब 20 वर्ष का होगा तब एक बार अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर आया तब उसके पापा ने उसे बहुत डाँटा व पिटाई की तब सीमा ने बीच-बचाव किया। उसके बाद जब भी लेट आता, घर का दरवाज़ा खोल दो-चार बात कह सो जाती। धीरे-धीरे उसकी आदत हो गयी। कुछ वर्षों बाद प्रतीक के पापा एक दुर्घटना में चल बसे। अब उस पर कोई रोक-टोक न थी। शादी के वक़्त कुछ सँभला रहा लेकिन पुरानी आदतें इतनी जल्दी पीछा कहाँ छोड़ती हैं। वो फिर इसी राह पर चल पड़ा। रोज़ाना के झगड़े शुरू हो गये इसी दौरान तारा की गोद भर गई। घर का ख़र्च भी बढ़ गया था ऐसी स्थिति में तारा ने नौकरी ढूँढ़ ली।
वो छोटू के साथ अपनी ख़ुशियाँ ढूँढ़ने लगी लेकिन प्रतीक ने अपनी लत न छोड़ी। कई बार तारा ने अपनी सास सीमा से शिकायत की लेकिन उनके लाख समझाने पर भी वो उसी शराब के नशे में झूम रहा था।
तारा ने कई बार तलाक़ की धमकी दी लेकिन प्रतीक पर कोई असर न हुआ।
आज तो हद ही कर दी तारा के शराब पीने को रुपये ना देने पर मासूम छोटू के सामने तारा से मारपीट करने लगा। सीमा का बीच-बचाव भी कुछ काम न आया। छोटू सहमा-सा सब देख पलंग पर चादर से मुँह ढक लेटा था। सहमे छोटू को देख सीमा ने उसी वक़्त तारा से कहा, “कब तक इस शराबी जुआरी के साथ अपने व छोटू का जीवन बर्बाद करती रहोगी। जल्द ही कोर्ट में तलाक़ की अर्ज़ी लगा दो। अपने बेटे के कारण पोते का जीवन बर्बाद नहीं कर सकती। तुम भी जो सज़ा काट रही हो उससे मुक्त हो जाओ और अपने जीवन को नई दिशा दो। बहू मैं तुम्हारा ये दर्द और सहन नहीं कर सकती।”
तारा अवाक् सी सीमा को देखती रह गई उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी सास एक दिन उसका तलाक़ में साथ देगी।
सीमा आज चुपचाप सी बिस्तर पर करवटें बदल रही थी तभी तारा सीमा के पास आकर बैठ गई। उसने देखा उनकी आँखें भीगी थीं और नींद आँखों से कोसों दूर थी। तारा ने चादर ओढ़ाते हुए कहा, “माँ सच आपका दिल बहुत बड़ा है। आपने मेरे व छोटू के लिए ये फ़ैसला लेकर साबित कर दिया।”
सुबह सीमा ने तारा को अपने कंगन देकर कहा, “जब भी रुपया पैसा चाहिए, इन्हें बेच देना। मेरे बेटे के कारण बहुत कष्ट देख लिए। जा आज कोर्ट में तलाक़ की अर्ज़ी लगा दे।”
तारा की आँखों में आँसू थे। वो आज समझ नहीं पा रही थी। सीमा के इस फ़ैसले पर क्या करे! तभी सीमा ने कहा, “बेटा, अपने छोटू के बारे में सोच। प्रतीक का जीवन तो बर्बाद हो ही चुका है। उसके कारण मैं अपने पोते का जीवन बर्बाद नहीं कर सकती। जाओ वकील साहब से मैंने बात कर ली है, वो इंतज़ार करते होंगे।”
अंदर के कमरे से शराबी प्रतीक बड़े आराम से उठ तारा को आवाज़ लगा रहा था। लेकिन नन्हा छोटू दादी से चिपक कर सो गया।
तारा अपने बेटे के लिए पर्स उठाकर वकील साहब से मिलने के लिए निकल चुकी थी।
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