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अनचाही बेड़ियाँ

दिल्ली के पॉश इलाक़े में अमित के घर पर आज विशेष रूप से पार्टी रखी गई थी। अपने नए–पुराने सभी दोस्तों को बुलाया था अमित की मम्मी, भाई-बहन सभी तैयारी में लगे थे। उनका परिवार साधारण ही था लेकिन पार्टी ख़ास थी क्योंकि पहली बार घर पर ऐसी गेट-टुगेदर पार्टी थी। जिसमें अमित अपनी नवविवाहिता पत्नी रीमा को जिसे पंजाब से ब्याह कर लाया था सभी से व्यक्तिगत रूप से मिलाना चाहता था। रीमा को भी तैयार होने के लिए पार्लर भेज दिया। शाम के 7:00 बजने वाले थे तभी रीमा ने घर में प्रवेश किया तो अमित बोला, “मम्मी आख़िर जगह का असर कहाँ जाएगा देखो मिडिल क्लास की तरह साड़ी पहन कर आयी है। मम्मी, कल इसे एक वेस्टर्न ड्रेस ला कर दी थी, कहो प्लीज़ चेंज करे। मेरे फ़्रेंडस् के साथ उनकी बीवियाँ कितनी मॉडर्न है।” 

मम्मी कुछ बोलती उससे से पहले ही अमित की बहन स्वीटी ने कहा, “आओ भाभी अंदर चलते हैं।” 

रीमा का ख़ूबसूरत चेहरा अमित की बातों से बोझिल हो गया। वह अपने चेहरे से बालों को सँवारती हुई स्वीटी के साथ चली गयी। कमरे में जाते ही स्वीटी ने कहा, “भाभी क्या हुआ आपने भैया की लायी हुई ड्रेस नहीं पहनी?”

अपने चेहरे पर आए भावों को कुछ छुपाती हुई रीमा बोली, “ऐसा भी भला कोई करता है। स्वीटी मैंने कभी वेस्टर्न ड्रेस नहीं पहनी और अचानक सबके सामने पहनो।” 

तभी अमित की मम्मी आ गई बोली, “बेटा, अमित की ख़ुशी के लिए पहन लो। वैसे तो मुझे भी कम पसंद है लेकिन ज़माने के साथ चलना पड़ता है फिर यह तो दिल्ली है।” 

सभी के कहने पर बेमन से रीमा ने घुटनों तक ऊँची टाइट फ़िटिंग, विदाउट स्लीव्स वाली ड्रेस पहन ली तो स्वीटी देखते ही बोली, “वाह! भाभी ब्यूटीफ़ुल आप तो मॉडल लग रही हो।”

तभी कमरे में अमित आया और रीमा को देखते ही ख़ुश हो गया बोला, “यह हुई ना बात।” 

रीमा अपने आप को असहज महसूस कर रही थी तो स्वीटी से कहा मुझे शर्म आ रही है; सबके सामने कैसे जाऊँगी? चेंज कर लूँ? तभी डोर बेल बजी और कमरे में दोनों थे रीमा बोली, “अमित प्लीज़, मुझे बिल्कुल कंफ़र्टेबल नहीं लग रहा।”

अमित ग़ुस्से में रीमा से बोला, “आज तो यही ड्रेस पहननी है. नहीं तो मैं घर से बाहर जा रहा हूँ। तुम मेरे फ़्रेंड और उनकी बीवियों को चाहो जैसे अटेंड करना।”

स्थिति सँभालते हुए रीमा धीरे से बोली, “मैं चेंज नहीं कर रही।” 

स्वीटी ने रूम का दरवाज़ा खटखटाया और बताया कि कुछ दोस्तों अपनी पत्नियों के साथ आ गए हैं। अमित बोला, “रीमा चलो हम दोनोंं साथ ही चलते हैं।”

दोनोंं की जोड़ी ने जैसे ही गेस्ट रूम में क़दम रखा अमित का दोस्त कबीर रीमा को देखते ही बोला, “कऽऽमाऽऽल!” 

ये शब्द सुनते ही रीमा तो जैसे ज़मीन में धँसी जा रही थी तभी दूसरे दोस्त राहुल ने भी कहा, “भाभी तो पटाखा लग रही है।” 

अमित का सीना तो जैसे फूले जा रहा था कि उसकी बीवी की इतनी तारीफ़ हो रही है। कबीर की पत्नी कुमकुम तभी रीमा के पास आयी और बोली आओ मैं तुम्हें तुम्हारा सबसे परिचय करवाती हूँ। रीमा कुमकुम के साथ राहुल की पत्नी सोना व अन्य सब से मिलने लगी। वह मुस्कुरा कर सभी का अभिवादन स्वीकार कर रही थी। सब से मुलाक़ात का सिलसिला चल रहा था चाय-नाश्ता भी सब ने लिया तभी रीमा बोली, “मैं अभी आती हूँ वो स्वीटी. . .” तो अमित ने इशारे से रीमा को रोक दिया। 

यह सब कुमकुम भी देख रही थी वह तपाक से बोली, “मुझे वॉशरूम जाना है प्लीज़ चलो ना रीमा।” 

रीमा और कुमकुम अंदर की तरफ़ गयीं तो रीमा संकोच करते हुए कुमकुम से बोली, “क्या आप सब हमेशा ऐसी ही ड्रेस . . .” 

कुमकुम ने रीमा का हाथ पकड़ कर कहा, “मुझे भी ये सब अच्छा नहीं लगता, लेकिन क्या करें? इन सब दोस्तों को वेस्टर्न ड्रेस ही पसंद है। ड्रेस तो कम से कम ऐसी हो कि हम अपने आप को कम से कम कंफ़र्टेबल महसूस कर सकें। मैं भी पहले इस शहर में नयी आयी थी तब तुम्हारी तरह ही मेरी हालत थी। अब आदत सी हो गई है। ना जाने क्यों आजकल के मर्द अपनी बीवी का प्रदर्शन करना चाहते हैं . . . सब आधुनिकता का दिखावा है। कहने को फ़्रीडम है; मॉडर्न बनने का दिखावा तुझे भी करना है लेकिन बंदिशों की बेड़ियाँ वैसी ही होंगी। ध्यान रखना।”

रीमा ड्रैस को सेट करते हुए बोली, “मुझे यह ड्रेस कंफ़र्टेबल नहीं लग रही . . . कुमकुम।”

“मुझे मालूम है, तुम्हें पहली बार देखते ही समझ गयी थी।”

उसी समय गेस्ट रूम से कबीर की आवाज़ आयी, “मैडम कहाँ रुक गई? अब आ भी जाओ ना।”

आँखों से इशारा करती हुई कुमकुम गेस्ट रूम में चली गयी। तभी अमित आया और बोला, “यह क्या तमीज़ है? मेरे दोस्त अभी गए नहीं हैं और तुम यहाँ!”

रीमा बस 2 मिनट के लिए आई थी खुले में; साथ देने अमित के पीछे-पीछे चल दी। लेकिन उनके ज़ेहन में उनकी बातें चल रहीं थीं। इसी उलझन में थी क्या मेरी ज़िन्दगी भी आधुनिकता की अनचाही बेड़ियों में जकड़ कर रह जाएगी? मुझे भी अपनी पसंद की बजाय दूसरों की पसन्द का ख़्याल रखना होगा वो भी कपड़ों को लेकर? भारी क़दमों से उसने गेस्ट रूम में क़दम रखा। तब अगली गेट-तटुगेदर पार्टी की ड्रेस थीम के बारे में बात हो रही थी तो कुमकुम बोली, “इस बार ड्रेस थीम रीमा तय करेगी और वह भी अपनी पसंद की।” 

रीमा ने भी मौक़ा छोड़ना उचित न समझा ख़ुशी से बोली, “मैं पंजाब से हूँ तो पटियाला ड्रेस कैसी रहेगी?”

तभी अमित और कबीर बोले, “पटियाला!” 

लेकिन कुमकुम ने ज़ोर से ताली बजाई और साथ ही सोना भी बोली, “सच बहुत दिन हो गए। इस बार हम पटियाला ड्रेस ही पहनेंगें।”

अमित रीमा को देख रहा था और कुमकुम ख़ुश थी कि रीमा ने उन अनचाही बेड़ियों को खोलने का पहला क़दम बढ़ा लिया। 

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टिप्पणियाँ

राजनन्दन सिंह 2022/10/01 10:43 AM

झूठी आधुनिकता पर चोट करती हुई अच्छी कहानी है।

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