मातृभूमि के वीर
काव्य साहित्य | कविता वन्दना पुरोहित1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
हे मातृभूमि के वीर,
तुम्हें सदा नमन हम करते हैं।
चौड़ी छाती है वीरों की,
ये बात याद हम रखते हैं।
जल, थल अम्बर के प्रहरी,
तेरा जीवन है सीख मेरी।
खड़ा हिमालय पर हिम बन तू,
शत्रु को मार गिराने को।
रेगिस्तानी तपते धोरों में,
रणबांकुरो की फ़ौज खड़ी।
हम संग तेरे हैं हर घड़ी,
तुझ से ही महफ़ूज़ है हम।
दुआ सदा ये करते हैं,
बेख़ौफ़ चले तेरे क़दम।
दुश्मन थर थर काँप उठे,
जब तू बढ़ाये अपने क़दम।
तिरंगे की शान हो तुम
लहरे तिरंगा ऊँचा सदा।
हे मातृभूमि के वीर,
तुम्हें सदा नमन हम करते हैं।
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