आज मिलन की आस
काव्य साहित्य | कविता सुधा रानी15 Mar 2020 (अंक: 152, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
विरह-आग से, दुर्भाग्य से,
हृदय-मरुभूमि में,
हलक-रेत में,
ग़ज़ब की प्रीति-प्यास,
आज मिलन की आस...!
हाथ जोड़ूँ, पाँव पकड़ूँ
हृदयेश श्याम -
मथुरा-गमन की
ज़िद छोड़ दें,
राधा-निलय,
ब्रजधाम का रुख कर,
रथ मोड़ दें।
मुँडेर पर एक कागा -
तेरा संदेश दे -
बोल गया,
आ प्रिये...
गीत रंग का गा प्रिये,
रीति रंग का निभा प्रिये...
मुख्य द्वार पर;
टकटकी लगाए नैन...
बाट जोहूँ... राह देखूँ
अवरुद्ध कर श्वास,
श्याम......
तोड़ मत विश्वास,
आज मिलन की आस,
आज...मिलन... की... आस!!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं